नीट परीक्षा के माध्यम से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में दाखिला पाने के लिए लाखों छात्र हर साल तैयारी करते हैं। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद कट ऑफ का महत्व बहुत अधिक होता है। वर्ष 2025 में नीट परीक्षा 4 मई को संपन्न हुई, और परिणाम 14 जून को घोषित किए गए। अब काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें सरकारी कॉलेजों के लिए कट ऑफ निर्णायक भूमिका निभाती है। इस लेख में हम नीट कट ऑफ से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करेंगे, ताकि छात्रों को अपनी रणनीति बनाने में मदद मिले।
NEET Cut Off 2025 Category Wise
नीट 2025 के लिए क्वालीफाइंग कट ऑफ विभिन्न श्रेणियों के अनुसार निर्धारित की गई है। यह कट ऑफ परीक्षा पास करने के लिए न्यूनतम आवश्यक अंक दर्शाती है, लेकिन सरकारी कॉलेज में एडमिशन के लिए इससे काफी अधिक अंक चाहिए होते हैं। नीचे दी गई तालिका में श्रेणीवार प्रतिशताइल और कट ऑफ अंक दिए गए हैं:
श्रेणी | प्रतिशताइल | कट ऑफ अंक |
---|---|---|
सामान्य (UR/EWS) | 50वीं | 686-144 |
ओबीसी/एससी/एसटी | 40वीं | 143-113 |
UR-PwD | 45वीं | 143-128 |
ओबीसी/एससी/एसटी-PwD | 40वीं | 127-113 |
ये अंक एनटीए द्वारा जारी किए गए हैं, और इन्हें परीक्षा के कठिनाई स्तर तथा कुल उम्मीदवारों के आधार पर तय किया जाता है। सरकारी कॉलेजों में एडमिशन के लिए ऑल इंडिया कोटा में सामान्य श्रेणी के लिए 620-680 अंक या इससे अधिक की जरूरत पड़ सकती है, जबकि राज्य कोटा में यह थोड़ा कम हो सकता है।
नीट कट ऑफ की जानकारी
नीट कट ऑफ वह न्यूनतम स्कोर है जो छात्रों को मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए योग्य बनाता है। यह दो प्रकार की होती है – क्वालीफाइंग कट ऑफ और एडमिशन कट ऑफ। क्वालीफाइंग कट ऑफ केवल परीक्षा पास करने के लिए होती है, जबकि एडमिशन कट ऑफ कॉलेजों द्वारा रैंक के आधार पर तय की जाती है। सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सीटें सीमित होने के कारण कट ऑफ ऊंची रहती है। उदाहरण के लिए, टॉप सरकारी कॉलेजों जैसे एम्स या जेआईपीएमईआर में सामान्य श्रेणी के लिए 650 से अधिक अंक आवश्यक हो सकते हैं। छात्रों को अपनी श्रेणी और राज्य के अनुसार कट ऑफ चेक करनी चाहिए, क्योंकि राज्य कोटा में स्थानीय आरक्षण लागू होता है।
नीट कट ऑफ को प्रभावित करने वाले कारक
नीट कट ऑफ कई因素ों से प्रभावित होती है, जो हर साल बदल सकते हैं। मुख्य कारक इस प्रकार हैं:
- परीक्षा में भाग लेने वाले उम्मीदवारों की संख्या: अधिक उम्मीदवार होने पर प्रतिस्पर्धा बढ़ती है, जिससे कट ऑफ ऊंची हो जाती है।
- परीक्षा का कठिनाई स्तर: अगर पेपर कठिन होता है, तो कट ऑफ कम रह सकती है, जबकि आसान पेपर में यह बढ़ जाती है।
- पिछले वर्षों की कट ऑफ ट्रेंड: पूर्व वर्षों के डेटा से वर्तमान कट ऑफ का अनुमान लगाया जाता है।
- उपलब्ध सीटों की संख्या: सरकारी कॉलेजों में रिक्तियां कम होने पर कट ऑफ बढ़ जाती है।
- श्रेणीवार आरक्षण: ओबीसी, एससी, एसटी जैसी श्रेणियों में कट ऑफ सामान्य से कम रहती है।
इन कारकों को समझकर छात्र बेहतर तैयारी कर सकते हैं।
नीट काउंसलिंग
नीट परिणाम घोषित होने के बाद काउंसलिंग प्रक्रिया शुरू होती है, जो मेडिकल काउंसलिंग कमिटी (एमसीसी) द्वारा संचालित की जाती है। 2025 में काउंसलिंग 21 जुलाई से शुरू हुई, और पहले राउंड का रिजल्ट 11 अगस्त को आया। काउंसलिंग में ऑल इंडिया कोटा (15%) और राज्य कोटा (85%) के लिए अलग-अलग सीटें आवंटित की जाती हैं। छात्रों को रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है, च्वाइस फिलिंग करनी होती है, और फिर सीट अलॉटमेंट होता है। अगर पहले राउंड में सीट नहीं मिलती, तो दूसरे या थर्ड राउंड में मौका मिलता है। सरकारी कॉलेज पाने के लिए उच्च रैंक जरूरी है।
नीट परीक्षा के कट ऑफ अंक कैसे चेक करें?
नीट कट ऑफ चेक करना आसान है। निम्न स्टेप्स फॉलो करें:
- एनटीए की आधिकारिक वेबसाइट neet.nta.nic.in पर जाएं।
- होमपेज पर ‘नीट कट ऑफ 2025’ या ‘रिजल्ट एंड कट ऑफ’ सेक्शन खोजें।
- अपनी श्रेणी और राज्य चुनें।
- कट ऑफ पीडीएफ डाउनलोड करें।
- पीडीएफ में कॉलेजवार और श्रेणीवार कट ऑफ देखें।
एमसीसी की साइट mcc.nic.in पर काउंसलिंग राउंड की कट ऑफ भी उपलब्ध होती है। नियमित रूप से अपडेट चेक करते रहें।
यह जानकारी छात्रों को नीट कट ऑफ समझने और सरकारी कॉलेज में एडमिशन की संभावनाओं का आकलन करने में मदद करेगी। तैयारी में जुटे रहें और लक्ष्य हासिल करें।